Andar Se Nahi Marna Hai by Jai Ojha
Andar Se Nahi Marna Hai is the poem narrated by Jai Ojha. Jai Ojha is a talented poet, many poems of Jai Ojha were famous. Andar Se Nahi Marna Hai poem gives motivation to us.
Andar Se Nahi Marna Poem:
इम्तेहान इस बात का नहीं को कौन मरेगा, कौन जियेगा…इम्तेहान इस बात का है कि कौन कितनी शिद्दत से लड़ेगा….मौत से अगर जंग हो तो आखिरी दम तक लड़ना है…चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…जब दम तुम्हारा घुटने लगे, जब प्राण हाथ से छूटने लगे…जब वजन ह्रदय पे लगने लगे, जब बदन तुम्हारा थकने लगे…तो ठीक उसी वक़्त जोर लगाकर पूरा अपना, अगली श्वास को भरना है…चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…यकीन मनो मौत से ज्यादा जीवन तुम्हे पुकार रहा है…यकीन मनो इस वायरस से ज्यादा भय का वायरस मार रहा है…तो तुम भी देखो दर की आँखों में, और कहो मुझे तो हर हाल में जीना है…चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…
हाँ जलती चिताये दिखा रही है, ख़बरें बेशक डरा रही है…सूनी है सड़कें भी बाहर, दुनिया जैसे मातम मना रही है…सबकुछ सच है लेकिन देखो तुम जिन्दा हो इस वक़्त अभी, शुक्रिया इसी बात का करना है…चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…और इस वायरस से तो तुम जीतोगे, बस डर, निराशा, भय, मायूसी, इनको परास्त करना है…चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…इंसान की ताक़त के आगे कौनसा वायरस टिक पायेगा…आज नहीं तो कल फिर ये शमा फिर रोशन हो जायेगा…मुश्किल दौर में हमको बस, हाथ थाम के चलना है…चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…और जीवन की जब हर जंग जीत ली हमने, तो इस वायरस से क्या डरना है…चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…जीवन की अनिश्चितताएं ये जीवन हमको सीखा रहा है…प्राण वायु की कीमत इंसान को मुश्किल सांसो के जरिये बता रहा है…और यही सबक है कि चलती हर एक साँस पे अबसे, रब का सुमिरन करना है…चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…
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